बहराइच:- इंडो-नेपाल बॉर्डर की खुली सीमा तस्करी के कारोबारियों के लिए सबसे मुफीदरास्ता काफी अर्से से बनी हुई है। सरहद की निगेहबानी में लगी सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल-झोंककर तस्करों के नेटवर्क द्वारा खाड़ी देशों तक तमाम तरीके के प्रतिबंधित सामानों की खेप भारत के रास्ते सीमा के पार भेजा जा रहा है।इसी कड़ी में बार्डर से लगे बहराइच श्रावस्ती सहित सीमावर्ती जिलों के नदियों तालाबो और पोखरों में विचरण करने वाले दुर्लभ किस्म के कछुओं पर भी तस्करों की काली छाया ने अटैक कर दिया है। विदेशों में भारतीय कछुओं की बढ़ती डिमांड से तराईके जिलों के नदियों और तालाबों से रातों-रात तस्कर कछुओं की भारी खेप को गायब करखाड़ी देशों में पहुंचा रहे हैं।बहराइच बना तस्करों के लिए स्वर्गइसका खुलासा सीमावर्ती जिले बहराइच के कई इलाकों से बड़े पैमाने पर तस्करी के लिएजा रहे कछुओं की भारी खेप की बरामदगी से हो चुका है। बहराइच के हुजूरपुर, रानीपुर, जरवल, कैसरगंज, प्रयागपुर, रूपैडीहा, फखरपुर और कोतवाली देहात जैसे कई इलाकों से कछुओं की भारी खेप की बरामदगी इस बात के पुख्ता सुबूत के तौर पर पहले ही सामने आ चुके हैं।खाड़ी देशों में है भारतीय कछुओं की काफी डिमांडखाड़ी देशों में भारतीय कछुओं की होटलों में काफी डिमांड है। इसके एवज में तस्करों को मोटी रकम बड़ी ही आसानी से मुहैया हो जाती है। इससे सीमावर्ती जिले सेकछुओं की तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क दबे पांव संचालित हो रहा है। सूत्रों की मानेतो विदेशी बाजार में इन कछुओं को बकायदा तौल के हिसाब से मंडियों में बेचा जाता है। इनका इस्तेमाल विदेशी होटलों में सूप, सैंडविच के साथ-साथ शक्ति वर्धक दवाओंके लिए इनकी बड़ी डिमांड है। साथ ही कछुओं के ऊपरी कवर को इलेक्ट्रिक्स चिप में भी इस्तेमाल की बात सामने आ रही है। इससे विदेशी बाजार में भारतीय कछुओं की बढ़तीडिमांड के चलते बार्डर के जिले में कछुओं की तस्करी का गोरखधंधा बड़ी तेजी से पैरपसारे हुए हैं।एसएसपी ने भी माना मामला है गंभीरवहीं, पूरे मामले पर सालिक राम वर्मा ने भी सीमावर्ती जिले से कछुओं की तस्करी केमामले को काफी गंभीर प्रकरण माना। उन्होंने कहा कि तस्कर कछुओं की तस्करी कर कोलकाता और पश्चिम बंगाल की तरफ भी भेजने का काम कर रहे हैं। इस पर शिकंजा कसने के लिए जिले के सभी थानों की पुलिस टीम को अलर्ट करते हुए इलाकाई तस्करों को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई के साथ भरोसा जताया है।
R.P.G.
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