कानपुर:- पनकी से जूही के बीच अक्सर सिग्नल फेल हो जाते हैं, जिसके चलते यात्रियोंका खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रेलवे टीम जब सिग्नल फेल होने के कारणपता लगाती तो बैट्री चोरी की बात सामने आती। आरपीएफ ने इस बैटरी चोर को पकड़ने के लिए कई दिनों से जाल बिछाया था, जिसमें उन्हीं के विभाग का इंजीनियर फंस गया। मंगलवार को आरपीएफ ने रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर को रंगे हाथ बैटरी चोरी करते हुए पकड़ लिया। उसके निजी आवास पर छापा मार कर आरपीएफ ने 12 सिग्नल बैट्रियां बरामद कीं, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।आरपीएफ को सूचना मिली थी कि सीनियर सेक्शन इंजीनियर बीके खरे बैट्रियां चुराकर घर ले जाता है और फिर बाहर बेचता है। इस पर एक टीम ने उनके आवास पनकी में छापा मारा तो दूसरी टीम उनके पीछे लग गई। घर में जैसे ही वह चोरी की बैट्रियां गाड़ी से उतारने लगा, आरपीएफ ने रंगेहाथ दबोच लिया। उनसे और कई जानकारियां आरपीएफ के हाथ लगी हैं।फेल हो रहे थे सिगनल, बेच रहे थे बैटरीपनकी से जूही के बीच आए, दिन सिगनल फेल होने की वजह भी उस समय पकड़ में आ गई, जब सीनियर सेक्शन इंजीनियर के कब्जे से 18 सिगनल बैटरियां बरामद हुईं। वह नई बैटरी निकाल कर पुरानी लगा देता था, पुरानी बैटरी नहीं मिली तो खुद ही चोरी की रिपोर्ट लिखा देता था।सीनियर सेक्शन इंजीनियर के कब्जे से 18 बैट्रियां तो बरामद हो गईं, पर अभी भी रेलवे रिकॉर्ड में 32 बैट्रियां गायब हैं। आशंका है कि यह भी इन्हीं का कारनामा है। आरपीएफ बाकी बैट्रियों की तलाश में जुटी है। सीनियर सेक्शन इंजीनियरबीके खरे अपने घर के इन्वर्टर में तो रेलवे की बैट्रियां लगाते ही थे, रिश्तेदारों को भी उपहार के रूप में चोरी की बैट्री बांटते थे। इसके अलावा मोहल्ले की दुकान में उन्होंने कई बैटरी बेची थीं।पहली बार पकड़ा गया कोई इंजीनियरसेंट्रल स्टेशन के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सीनियर सेक्शन इंजीनियर रेलवे उपकरणों की चोरी में पकड़ा गया। गिरफ्तारी के पहले आरपीएफ ने मुख्य सुरक्षा आयुक्त से लेकर शीर्ष अफसरों से बात की। इन अफसरों ने मंडलीय अधिकारियोंको घटना बता उनसे मंजूरी ली। इसके बाद आरपीएफ टीम ने इंजीनियर के आवास पनकी में छापा मार उन्हें चोरी के सामान सहित धर दबोचा।रेलवे इंजीनियर स्टोर या साइड से बैट्री और अन्य उपकरण पार करवा कर आरपीएफ में रिपोर्ट लिखा देता था और फिर फाइनल रिपोर्ट लगवा लेता था। इससे आगे की कार्रवाई बंद हो जाती थी। विभाग मान लेता है कि सामान चोरी चला गया। रिपोर्ट लिखाने में आरपीएफ जूही को एक कर्मचारी ने यह राज बता दिया। पूरी पड़ताल के बाद आरपीएफ ने इंजीनियर की गिरफ्तारी की।
R.P.G.
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