नई दिल्ली :- उद्योगपति विजय माल्या के देश छोड़कर जाने के मामले में अब एक नया खुलासा हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने माल्या के खिलाफ निगरानी (लुकआउट) नोटिस में बदलाव किया था। माल्या पर विभिन्न बैंकों का9000 करोड़ का लोन बकाया है। अकेले आईडीबीआई का ही उनपर 900 करोड़ का कर्जा है। माल्या के देश छोड़कर जाने पर सरकार के साथ साथ सीबीआई भी दबाव में आ गई है।सीबीआई ने नोटिस जारी करने के एक महीने बाद ही उसमें बदलाव कर दिया। नोटिस में बदलाव करते हुए सीबीआई ने ब्यूरो ऑफ इम्मीग्रेशन (बीओआई) को माल्या के देश से बाहर जाने के दौरान हिरासत में लेने के बजाए सिर्फ उनकी यात्रा के बारे में जानकारी देने को कहा। आईडीबीआई से लिए 900 करोड़ के कर्ज की सीबीआई जांच कर रही है।सूत्रों ने बताया कि लुकआउट नोटिस पर फैसला इसे जारी करने वाली एजेंसी करती है। जबतक एजेंसी बीओआई को किसी व्यक्ति को बाहर जाने से रोकने या फिर विमान में चढऩेसे नहीं रोके, तबतक कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। सूत्रों ने आगे बताया कि सीबीआई की ओर से बदलाव करने के चलते माल्या जब भी देश से बाहर गए, बीओआई ने उन्हें जाने से नहीं रोका। बल्कि, सीबीआई को उनके बाहर जाने की सूचना दी गई।सीबीआई सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक, किसी का पासपोर्ट तभी जब्त किया जा सकता है जब उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई हो या फिर उसके खिलाफ कोई जांच चल रही हो। सूत्रों ने आगे बताया कि माल्या चूंकि जांच में सहयोग कर रहे थे, इसलिए उनके विदेश जाने पर रोक लगाने का कोई तुक नहीं था।सीबीआई सूत्रों के अनुसार, माल्या पहले अक्टूबर में विदेश गए थे और नवंबर में वह लौट आए थे। इसके बाद वह दिसंबर के पहले और अंतिम हफ्ते में देश छोड़कर बाहर गए। इसके बाद वह फिर से जनवरी में विदेश गए। इसके अलावा, लुटआउट नोटिस जारी होने के बाद वह तीन बार पूछताछ के लिए हाजिर हुए।सूत्रों ने बताया कि एजेंसी माल्या के विदेशी दौरों पर नजर रखे हुए थी, लेकिन कभीभी हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि वह हमेशा लौट आते थे।
R.P.G.
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