बीजापुर:- जिले में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधीन महाविद्यालय खोलने की प्रक्रिया ठण्डे बस्ते में जाती जान पड़ रही है क्योंकि इसके लिए ना तो यूनिवर्सिटी के अधिकारी और ना ही जनप्रतिनिधि कदम बढ़ा रहे हैं।
कृषि महाविद्यालय खोलने का प्रस्ताव रखा था
एक सौ पचास एकड़ राजस्व भूमि की उपलब्धता के बावजूद कॉलेज की स्थापना पर सभी मौन नजर आ रहे हैं। विश्वविद्यालय ने जिले में कृषि महाविद्यालय खोलने का प्रस्ताव रखा था।
अक्टूबर 2014 में तत्कालीन कलक्टर अब्दुल कैसर हक ने यहां से 20 किमी दूर पेदाकोड़ेपाल में मिंगाचल नदी के तट पर राजस्व की भूमि की नापजोख करने के लिए राजस्व के अमले को भेजा था।
सुरक्षा की कोई दिक्कत नहीं है
ये भूमि नदी तट पर होने के चलते उर्वर है और यहां सीआरपीएफ का कैम्प भी है। इससे सुरक्षा की कोई दिक्कत नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि ये जमीन नैमेड़ यानि एनएच 63 से केवल छह किमी की दूरी पर है।
जानकारों का कहना है कि यहां एग्रीकल्चर फार्म व रिसर्च सेंटर के अलावा कॉलेज भवन, प्रशासनिक भवन व हॉस्टल बनाए जा सकते हैं।
जनप्रतिनिधि भी कोई पहल नहीं कर रहे
जमीन मिलने के बाद इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर से अफसर आए थे और इस स्थान को कॉलेज के लिए उपयुक्त पाया था लेकिन उसके बाद से कॉलेज की स्थापना के लिए कोई पहल होती नहीं दिख रही है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो ये है कि इस ओर जनप्रतिनिधि भी कोई पहल नहीं कर रहे हैं।
इसका खामियाजा उन विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है जो विज्ञान व कृषि संकाय से बारहवीं पास करने के बाद बीएससी एग्रीकल्चर करने की चाहत रखते हैं। ऐसे विद्यार्थियों दंतेवाड़ा, जगदलपुर, धमतरी या रायपुर की ओर जाना पड़ता है।
ज्ञात हो कि भोपालपटनम, बीजापुर, भैरमगढ़ और मद्देड़ में बारहवीं में कृषि संकाय है।
R.P.G.
कृषि महाविद्यालय खोलने का प्रस्ताव रखा था
एक सौ पचास एकड़ राजस्व भूमि की उपलब्धता के बावजूद कॉलेज की स्थापना पर सभी मौन नजर आ रहे हैं। विश्वविद्यालय ने जिले में कृषि महाविद्यालय खोलने का प्रस्ताव रखा था।
अक्टूबर 2014 में तत्कालीन कलक्टर अब्दुल कैसर हक ने यहां से 20 किमी दूर पेदाकोड़ेपाल में मिंगाचल नदी के तट पर राजस्व की भूमि की नापजोख करने के लिए राजस्व के अमले को भेजा था।
सुरक्षा की कोई दिक्कत नहीं है
ये भूमि नदी तट पर होने के चलते उर्वर है और यहां सीआरपीएफ का कैम्प भी है। इससे सुरक्षा की कोई दिक्कत नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि ये जमीन नैमेड़ यानि एनएच 63 से केवल छह किमी की दूरी पर है।
जानकारों का कहना है कि यहां एग्रीकल्चर फार्म व रिसर्च सेंटर के अलावा कॉलेज भवन, प्रशासनिक भवन व हॉस्टल बनाए जा सकते हैं।
जनप्रतिनिधि भी कोई पहल नहीं कर रहे
जमीन मिलने के बाद इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय रायपुर से अफसर आए थे और इस स्थान को कॉलेज के लिए उपयुक्त पाया था लेकिन उसके बाद से कॉलेज की स्थापना के लिए कोई पहल होती नहीं दिख रही है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो ये है कि इस ओर जनप्रतिनिधि भी कोई पहल नहीं कर रहे हैं।
इसका खामियाजा उन विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है जो विज्ञान व कृषि संकाय से बारहवीं पास करने के बाद बीएससी एग्रीकल्चर करने की चाहत रखते हैं। ऐसे विद्यार्थियों दंतेवाड़ा, जगदलपुर, धमतरी या रायपुर की ओर जाना पड़ता है।
ज्ञात हो कि भोपालपटनम, बीजापुर, भैरमगढ़ और मद्देड़ में बारहवीं में कृषि संकाय है।
R.P.G.
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