नई दिल्ली:- लोकसभा ने विशिष्ट पहचान संख्या आधार को कानूनी वैधता देने संबंधी विधेयक में राज्यसभा द्वारा सुझाए गए पांचों संशोधनों को बुधवार रात नामंजूर कर दिया और इसके साथ ही यह विधेयक मूल रूप में संसद से पारित हो गया।विपक्षी तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल और वामदलों ने सरकार पर इस विधेयक को हड़बड़ी में पारित कराने और उच्च सदन द्वारा सुझाए संशोधनों को न मानकर उसका असम्मान करने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया।लोकसभा ने आधार (वित्तीय सब्सिडी तथा अन्य सेवाओं का लक्षित परिदान) विधेयक 2016 को 11 मार्च को पारित किया था और राज्यसभा ने बुधवार को ही इस पर चर्चा कर पांच संशोधन करके लोकसभा को लौटाया था।इस विधेयक के धन विधेयक होने के कारण लोकसभा ने अपने विशेषाधिकार के तहत इन संशोधनों को नामंजूर कर दिया और विधेयक मूल रूप में संसद से पारित हो गया। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि राज्यसभा द्वारा सुझाए गए संशोधन संविधान एवं कानून के अनुरूप नहीं हैं।आधार के डाटा को साझा करने एवं निजता की रक्षा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रावधान की बजाय सार्वजनिक आपात स्थिति और जनसुरक्षा लिखे जाने की मांग का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों शब्दों को शामिल करने के खतरनाक परिणामहोंगे क्योंकि इन बातों की कानून या संविधान में कोई व्याख्या नहीं है और विवाद की दशा में कोई भी मनमानी व्याख्या करके समस्या पैदा करेगा और लोगों की निजता काअधिकार प्रभावित होगा।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा का शब्द पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के विधेयक में था। उन्होंने उसी से इसे लिया है और आज संप्रग के सदस्य अपने ही शब्द का विरोध कर रहे हैं। आधार को सरकारी लाभ के लिए अनिवार्य बनाए जाने के प्रावधान सेसरकारी लाभ को अपात्रों तक नहीं पहुंचने दिया जाएगा। उन्होंने इसके लिए रसोई गैसके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की योजना का उदाहरण दिया। उन्होंने केन्द्रीय सतर्कता आयोग तथा नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक को भी राष्ट्रीय सुरक्षा केविषय की जाँच करने की अनुमति देने के तर्क को हास्यास्पद बताया।
R.P.G.
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