💯 सुविधा शुल्क की मार से परेशान छात्र और अभिभावक""""""
बलिया :- 18 फरवरी को शुरू हुई माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की बोर्ड परीक्षा बनी अभिभावक और छात्रो के लिए मुसीबत।
बताते चलें कि 18 फ़रवरी को ही केंद्र व्यवस्थापकों की तरफ से सुविधा शुल्क का फरमान जरी कर दिया गया जिसमें हाई स्कूल में 2500 तथा इंटरमीडिएट में 3000 रुपये देना जरूरी है साथ में ये भी हिदायत दी गयी है की इस बात की भनक किसी को भी लगनी नहीं चाहिए।
अब अभिभावक बेचारे लाचार परेशान सुविधा शुल्क जुटाने के लिये गँवई महाजनों का चक्कर लगा रहे है । गरीब तबकों के अभिभावक बतातें है कि एक तरफ स्कूल की फीस पहले ही कमर तोड़ चुकी है ऊपर से ये सुविधा शुल्क हमारी कमर तोङ दी है। अब बच्चों को पढाना भारी पड़ रहा है जब उनसे स्कूल प्रबन्धक का नाम पूछा गया तो बताने से मना कर दिया। कुछ स्कूल प्रबंधको से इस मामले में पूछा गया तो नाम न छापने की शर्त पर बताया की क्या करें ऊपर से नीचे तक पैसा खिलाना पड़ता है अगर अभिभावक पहले से ही अपने बच्चों का ध्यान देते तो नक़ल करने कराने की नौबत ही नहीं आती न हम परेशान होते न ये परेशान होते। वहीं छात्रो से जब इस बाबत पूछा गया तो छात्रों ने कहा की इस परीक्षा में पास होना कोइ बड़ी बात नहीं है लेकिन मेरिट का जमाना है इसी के डर से हम लोग सुविधा शुल्क देने को मजबूर हैं ।
अगर इसे देखा जाये तो परीक्षा की सुचिता जो तार-तार हो रही है उसके लिए सरकारी तंत्र से लेकर प्रबंधक अभिभावक छात्र सभी लोग बराबर जिम्मेदार है। इसमें मार खा रहे हैं तो गरीब तबके के लोग अब देखना है की इस मामले में प्रशासन क्या करती है।
R.P.G.
रिपोर्ट ~
Rohit Gupta
बलिया :- 18 फरवरी को शुरू हुई माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश की बोर्ड परीक्षा बनी अभिभावक और छात्रो के लिए मुसीबत।
बताते चलें कि 18 फ़रवरी को ही केंद्र व्यवस्थापकों की तरफ से सुविधा शुल्क का फरमान जरी कर दिया गया जिसमें हाई स्कूल में 2500 तथा इंटरमीडिएट में 3000 रुपये देना जरूरी है साथ में ये भी हिदायत दी गयी है की इस बात की भनक किसी को भी लगनी नहीं चाहिए।
अब अभिभावक बेचारे लाचार परेशान सुविधा शुल्क जुटाने के लिये गँवई महाजनों का चक्कर लगा रहे है । गरीब तबकों के अभिभावक बतातें है कि एक तरफ स्कूल की फीस पहले ही कमर तोड़ चुकी है ऊपर से ये सुविधा शुल्क हमारी कमर तोङ दी है। अब बच्चों को पढाना भारी पड़ रहा है जब उनसे स्कूल प्रबन्धक का नाम पूछा गया तो बताने से मना कर दिया। कुछ स्कूल प्रबंधको से इस मामले में पूछा गया तो नाम न छापने की शर्त पर बताया की क्या करें ऊपर से नीचे तक पैसा खिलाना पड़ता है अगर अभिभावक पहले से ही अपने बच्चों का ध्यान देते तो नक़ल करने कराने की नौबत ही नहीं आती न हम परेशान होते न ये परेशान होते। वहीं छात्रो से जब इस बाबत पूछा गया तो छात्रों ने कहा की इस परीक्षा में पास होना कोइ बड़ी बात नहीं है लेकिन मेरिट का जमाना है इसी के डर से हम लोग सुविधा शुल्क देने को मजबूर हैं ।
अगर इसे देखा जाये तो परीक्षा की सुचिता जो तार-तार हो रही है उसके लिए सरकारी तंत्र से लेकर प्रबंधक अभिभावक छात्र सभी लोग बराबर जिम्मेदार है। इसमें मार खा रहे हैं तो गरीब तबके के लोग अब देखना है की इस मामले में प्रशासन क्या करती है।
R.P.G.
रिपोर्ट ~
Rohit Gupta
No comments:
Post a Comment